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रविवार, 14 सितंबर 2008

जी रहा हूँ लटके-लटके


मेरे दोस्त प्यारे रहना जरा तुम बचके,
जाना पड़े कभी जब प्यार के पनघट पे।


अक्सर लगते हैं प्यार में वहां ऐसे झटके,
कि टूट जाते भोले- भाले दिलों के ही मटके,
मेरे दोस्त प्यारे रहना जरा तुम बचके।


मेरे दिल के टुकड़े हुए उसके खंजर से कटके,
उसी के लगाए फंदे में जी रहा हूँ लटके-लटके,
मेरे दोस्त प्यारे रहना जरा तुम बचके।


बीते न थे दिन ज्यादा अभी उस कली को चटके,
काँटों में बदल गए कैसे पंखुडियां सारे फटके,
मेरे दोस्त प्यारे रहना जरा तुम बचके।


पागलपन में चक्कर लगा आता हूँ आज भी उस तट के,
चलता हूँ मगर अब प्यार के मझधार से हट -हट के,
मेरे दोस्त प्यारे रहना जरा तुम बचके।


-बोबी बावरा

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