शुक्रवार, 22 अगस्त 2008
सुशील कुमार पहलवान
वाह ! भाई वाह! सुशील कुमार पहलवान,
अपने बलबूते तुमने जीत ही लिया मैदान।
सोचा न था किसी ने सब थे तुमसे अनजान,
झटके भर में तुमने बना ली अपनी पहचान।
देश का सीना और चौड़ा किया बढ़ाई तुमने शान,
पदक भूख से मसमसाते देश को करा दिया जलपान।
छप्पन साल की तोड़ी चुप्पी हम कैसे न हों हैरान,
जधाव ने तब छेडी थी अब तुमने छेड़ दी तान।
अभिनन्दन है तुम्हारा हम हुए तेरे कद्रदान,
लोगों ने भी है अब लोहा तुम्हारी मान।
दिल कर रहा करने को आज ये एलान,
देश के नाम पर सबका करें अब आह्वान।
कि सुनो हे ! देश के भटके हुए नौजवान,
बिंद्रा, सुशील और विजेंदर सा दिखाओ उफान।
ग़लत काम छोड़ न करो ख़ुद को बदनाम,
कुकर्म छोड़ सुकर्म करो ऊँचा करो खानदान।
अंधे विचारधारा छोड़ दंगे न करो न करो मानवता का अपमान,
बाजू फड़कती है अगर तो अखाड़े में लगाओं अपनी जान।
मोटरसाईकल सवार हो छीनाझपटी करते क्यों नादान,
माँ बहनों के श्रृंगार झपट उधेड़ते क्यों उनके कान।
सजाते हो क्यों इस कदर अपनी अपराध की दूकान,
खेल कूद दंगल की तरफ़ करो अब अपनी रुझान।
अपनी चंचलता चपलता से देश की संभालो कमान,
एकजुट संकल्प से विश्व पटल पर तभी होगा देश का उत्थान।
-बौबी बावरा
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