Pages

यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 22 जुलाई 2008

भारतीय संसद के पहलवान

घुमावदार संसद के ख्म्भेदार भवन में
जमा हो लिए अपने मुद्दों का लेकर गट्ठर
उजले पोशाक धरकर अपने तन बदन में
दुसरे का मट्टका फोड़ने करने दुसरे का पंचर

छोटी बड़ी समस्याओं की लिस्ट तैयार होती है
पर नहीं सुनने की जैसे खा रखी सबने क़समें
थकी बुझी प्रतिनिधित्व इस कोलाहल में सोती है
भारतीय लोकतंत्र की ये अतिगारिमापूर्ण हैं रश्में

उठा पटक बांह मरोड़ हाथापाई से होती कसरत है
फुल वोलुम विरोध रागालाप से साफ़ होती है गला
देशहित सम्बन्धी बातों से इन प्राणियों को नफरत है
भारतीय राजनीति करने की ये अनूठी है कला

मुद्दा पटल पर रखने का वक्त बड़ा कम है
देखते देखते भोजनावकाश लो थाम लो अपनी थाली
बहसबाजी का गेम है खाने में असली दम है
सोचो राजनीति होगी कैसे पेट जब हो खाली

भूखी मुरख जनता तो भूखे पेट सो लेती है
ये उनके नेता हैं हाजमा इनका है फाइव स्टार
गर्मी बरसात सर्दी में जनता सड़क पर होती है
और इनके नेता के पास आठ हैं एसीयुक्त कार

और कितना फूंकेंगे पैसा सदन का करके बहिष्कार
वेतन भत्ता बनाकर कराके अपना ही सत्कार
दुसरे को पटक पछाड़कर जैसे हो गैंगवार
षडयंत्र प्रपंचयुक्त पॉवर का उभरता ये कारोबार।

-बौबी बावरा

कोई टिप्पणी नहीं: