भारत अमेरिकी परमाणु करार
अपने ही देश में सौ तकरार
UPA के कन्धों में देश का भार
UPA चाहे हो देश का उद्धार
गांवो में पहुंचे बिजली एक बार
बंजर खेतों में पड़े पानी की फुहार
कोयला तेल का है सीमित भंडार
भविष्य का सोचना है दरकार
तभी होगा समूचे देश का सुधार
वामपंथी विपक्षी कब होंगे समझदार
क्या वे चाहते अर्थव्यवस्था की हार
अपने जिद्द में गिराने को सरकार
करते फ़िर रहे हैं क्यों दुष्प्रचार
साकारात्मकता को करके आस्विकार
है क्या इनके पास चमत्कार
उर्जा की मांग का कोई उपचार
विकास के हैं क्या युक्तियाँ चार
जनता पर पड़ी जब महंगाई की मार
जब काट रही है तेल की धार
अब सीख लो करना भी एतबार
अलग राग छोड़ मिलाओ तार से तार
फ़िर से सोचकर देखो यार
विनाश नहीं है ये मानवता की दरबार
पुरानी सोच छोड़ अब करो विचार
देश को करो न और लाचार
आर्थिंक विकास का ये है आधार
क्या करोगे पाकर एटमी हथियार
इससे पिछड़ जाओगे होके बीमार
और मत करो देश का बंटाधार
करो न देशहित को दरकिनार
सोचो इसके हैं लाभ अपार
विकास के इसमे नुस्खे हजार
सरकार गिराकर क्या दोगे समाचार
कर पाओगे क्या शेर का शिकार
चलो रहने दो सुनो आत्मा की पुकार
विकास को लेने दो एक नया आकार
पीढियां देगी तुमको पुरस्कार।
-बौबी बावरा
4 टिप्पणियां:
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
स्वागत
लगन से लि्खी गयी एक ईमानदार कविता !
आपने सही कहा विकास को नई राह देने के लिए यह करार आवश्यक है।
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
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