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गुरुवार, 7 अगस्त 2008

खंडित खंडहर बन जाऊँगी

अपने बारे में बताओ
अपने को न छुपाओ
तुम्हें देख पाऊँगी कैसे
रिश्ता तुमसे जोड़ पाऊँगी कैसे
पहले जान लूँगी समझ लूँगी
परख लूँगी पहचान लूँगी
तभी झील सी अपनी आँखों में
दिल की गहराई और सांसों में
तुम्हें उतरने दूँगी
तुम्हें बसने दूँगी
धोखे बहुत अब होते हैं
खोकर बाद में सब रोते हैं
मेरे साथ भी ऐसा हो जाए तो
वफ़ा के बदले वफ़ा न मिल पाए तो
खंडित खंडहर सी मैं कहलाउंगी
भरोसे की नींव हो तभी अपनाउंगी
नहीं तो कैसे अपने को बचाऊँगी
टुटा दिल लेकर कैसे जी पाऊँगी

-बौबी बावरा






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