विश्व विजयी बना,
भारतीय अभिनव बिंद्रा।
चटकी हो जैसे बरसों की,
सुसुप्त कुम्भ्करनी निंद्रा।
जनता देश की देती,
बिंद्रा तुम्हें हार्दिक बधाई।
अपने बलबूते ही तुमने,
देश की लाज बचाई।
बरसों से देश ले रहा,
कई ओलिम्पिक में हिस्सा।
मगर खाली हाथ लौटना ही,
रहा हमेशा किस्सा।
सोचा न था किसी ने,
कि अभिनव कर दिखायेगा।
छुपा रुस्तम बन,
देश को शीर्ष पर बैठायेगा।
कठिन असंभव काम कर,
इतिहास तुमने रच दिया।
भ्रष्ट देसी तंत्र के बावजूद,
तुमने सपना सच किया।
निशाना लगाना हमें भी बताओ,
बन्दूक अपनी दो जरा उधार।
एकजुट हो संघर्ष करेंगे,
करने को हम भी सुधार।
कि शर्म करो हे निर्लज,
स्वार्थी नौकरशाह-राजनेता।
तुम्हारे ही चलते देश,
अब भी पिछवाडे में है लेटा।
कि बड़ा देश बड़ी आबादी,
फ़िर भी पदकों का है टोटा।
जेब भर अपनी तुम कर रहे,
अपना लालची पेट मोटा।
अन्य देश पदकों की,
लगा देते हैं जीत कर ढेर।
और तुम खोखले करते देश को,
कहलवाते अपने को हो शेर।
-बौबी बावरा
1 टिप्पणी:
चक दे फट्टे, मार लिया मैदान, जीत ली जंग, दे दिया जवाब, बन गये बादशाह, ख़ुशी से झूम रहा है पूरा देश ........... शाबाश अभिनव !
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